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Dr. Deepti Priya 

Psychologist and Author

काव्य पुस्तक “विमोह” मनुष्य के निर्माण का आधार बनने बनाने में सक्षम है।

“काव्य पुस्तक “विमोह” मनुष्य के निर्माण का आधार बनने बनाने में सक्षम है”

काव्य पुस्तक “विमोह” में भावों की सघनता है। व्यक्ति एवं भावों के द्वन्द की यथेष्ठ अभिव्यक्ति है। कवि ने महाभारत के उन प्रसंगों को उठाया है जो आधुनिक मनुष्य के दु:चिंता और संत्रास को वाणी देती है, एवं उसका शमन भी करती है। पूरे काव्य में आधुनिकता के तुच्छताओं के समांतर मनुष्य के जीवन में समन्वय की तलाश करता हुआ प्रतीत होता है। काव्य पुस्तक “विमोह” में महाभारत के प्रसंग हैं, पर वह मध्य-कालीन भाव बोध, विघटनकारी धार्मिकता के आशक्ति से लवरेज़ नहीं हैं, वरन वहाँ से वह उन संदर्भों और दृष्टांतों को उठाती हैं जो आज के आत्मसंकुचित दृष्टिकोण के विपरीत अधिक नैतिक, अधिक सुकून दायक मनुष्य के निर्माण का आधार बनने बनाने में सक्षम है। पुस्तक का शीर्षक विमोह किसी पलायन की ओर इंगित नहीं करता वरन आधुनिक मनुष्य के संकुचन का प्रतिकार करता है।

श्रीमती पूजा कुमारी

(शिक्षिका, दरभंगा)

 

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