लेख शीर्षक: "व्यक्तित्व के विकास का आधार", लेखिका: डॉ. दीप्ति प्रिया
पत्रिका: "गौरवशाली भारत" (राष्ट्रीय मासिक पत्रिका), सितंबर २०२१ संस्करण
स्वामी विवेकानन्द ने कहा था “बच्चे आशावादी पैदा होते हैं, लेकिन जीवन की अनुभूतियाँ सतत मोह भंग करती हैं”। बच्चे वही सीखते हैं जो वे प्रत्यक्ष देखते हैं या अनुभव करते हैं। बच्चों की प्रकृति की नींव बड़ों के व्यवहारों से बनती व बिगड़ती है, उनकी प्रकृति की अभिव्यक्ति उनकी नींव पर आधारित होती है। …
मैं तो हूँ गीली मिट्टी,
तुम मेरे कुम्भकार,
हाथ लगा कर मुझको तुम,
पूर्ण करो आकार।।
सकारात्मकता को अपनाएं… बेहतर जीवन के लिए इसमें कहीं अधिक संभावनाएं हैं।
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प्रधान संपादक "श्री परिचय दास" जी Parichay Das को सहृदय धन्यवाद।
-डॉ. दीप्ति प्रिया
मनोवैज्ञानिक व विचार साहित्य की आधुनिक कवयित्री / लेखिका
प्रकाशित काव्य संग्रह: “विमोह”, “दीप्राणिका”;